यूक्रेन पर रूस का भीषण हमला! सैकड़ों सुसाइड ड्रोन और मिसाइलों से तबाही, F-16 मार गिराया

रूस
रूस ने  यूक्रेन पर तबाही बरसाई। एक ही रात में 477 आत्मघाती ड्रोन और 60 मिसाइलों से हमला किया गया। इस हमले में यूक्रे का तीसरा F-16 लड़ाकू विमान भी मार गिराया। पायलट की भी मौत हो गई है। यूक्रेनी सेना ने इस हमले को हाल के सप्ताहों का सबसे बड़ा और सबसे भयानक हवाई हमला करार दिया है। हमलों के बाद जेलेंस्की ने अमेरिका समेत दुनियाभर के देशों से भावुक अपील भी की है।

यूक्रेन में कहां और कितनी तबाही
यूक्रेनी वायुसेना ने बताया कि पायलट ने आखिरी पल तक दुश्मन से लोहा लिया और विमान को आबादी वाले इलाके से दूर ले जाकर बड़ा नुकसान टालने की कोशिश की, लेकिन खुद को नहीं बचा सका। यूक्रेनी सेना ने 211 ड्रोन और 38 मिसाइलें मार गिराने का दावा किया, लेकिन बाकी हमलों ने कई इलाकों को हिला दिया। ल्विल, पोल्टावा, मायकोलाइव, निप्रोपेत्रोव्स्क, चेरकासी और इवानो-फ्रैंकिव्स्क जैसे प्रमुख क्षेत्रों में धमाके हुए। चेरकासी में बहुमंजिला इमारतों और एक कॉलेज पर हमले में छह लोग घायल हो गए, जिनमें एक बच्चा भी शामिल है। इवानो-फ्रैंकिव्स्क में एक महिला, जबकि मायकोलाइव व निप्रो में औद्योगिक ठिकाने निशाना बने। घरों की खिड़कियां चकनाचूर हो गईं, कई इमारतें जमींदोंज हो गईं और राहतकर्मी पूरी रात बचाव कार्य में जुटे रहे।

ज़ेलेंस्की की भावुक अपील
राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने हमले के बाद X पर भावुक अपील भी की है। उन्होंने कहा, “यह युद्ध अब खत्म होना चाहिए। इसके लिए आक्रामक पर दबाव और हमारे लिए सुरक्षा – दोनों जरूरी हैं।” उन्होंने कहा कि सिर्फ इसी सप्ताह रूस ने 1,270 ड्रोन, 114 मिसाइलें और करीब 1,100 ग्लाइड बम दागे हैं। ज़ेलेंस्की ने अमेरिका और उसके सहयोगियों से तुरंत पेट्रोयट मिसाइल सिस्टम भेजने की अपील की और कहा कि “राजनीतिक इच्छाशक्ति और नेतृत्व” की सबसे ज्यादा जरूरत इस समय है। हेग में हुई एक अहम बैठक में उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से भी इस मसले पर सीधी मदद मांगी थी।

यूक्रेन की हवाई सुरक्षा पर संकट
F-16 लड़ाकू विमानों को यूक्रेन की रक्षा प्रणाली की रीढ़ माना जा रहा है, लेकिन अब तक वह तीन विमान युद्ध में खो चुका है। यह साफ नहीं है कि कुल कितने विमान फिलहाल यूक्रेनी वायुसेना के पास हैं। सेना के अनुसार, इस हमले में भेजे गए 225 ड्रोन सिर्फ भ्रम फैलाने के लिए भेजे गए थे, जिनमें विस्फोटक नहीं थे — यानी रूस अब “भीड़ के बल पर हमला” रणनीति अपना रहा है।

 

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