ट्रंप की भारत से खुन्नस की असली वजह का खुलासा, पाकिस्तान भी आ गया बीच में

वाशिंगटन 
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भारत पर भारी टैरिफ की वजह रूसी तेल बताते हैं। हालांकि, इसके और भी कई कारण सामने आ रहे हैं। हाल ही में आई एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि इस मामले में ट्रंप की व्यक्तिगत नाराजगी है और इसके तार भारत और पाकिस्तान के बीच हुए संघर्ष विराम से जुड़े हैं। हालांकि, इसे लेकर भारत या अमेरिका की ओर से आधिकारिक तौर पर कुछ नहीं कहा गया है। वित्तीय सेवाएं प्रदान करने वाली कंपनी जैफरी की एक रिपोर्ट में कहा गया है, 'टैरिफ मुख्य रूप से अमेरिकी राष्ट्रपति की व्यक्तिगत नाराजगी का नतीजा हैं कि उन्हें भारत और पाकिस्तान के बीच लंबे समय से चली आ रही दुश्मनी को खत्म करने में भूमिका निभाने का मौका नहीं मिला।' इसमें कहा गया है कि ट्रंप कथित तौर पर उम्मीद लगाए बैठे थे कि उन्हें मध्यस्थ बनने का मौका मिलेगा।

भारत ने लगातार कहा है कि संघर्ष विराम में किसी तीसरे देश की भूमिका नहीं थी और वो द्विपक्षीय था। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारी आर्थिक लागत के बाद भी इस रेखा को बनाए रखा गया, जिसके कारण अमेरिका के राष्ट्रपति को अपनी प्रतिष्ठा मजबूत करने का मौका नहीं मिल पाया। साथ ही रिपोर्ट में कहा गया है कि मौका नहीं मिलने के कारण उन्हें संभावित रूप से नोबेल पुरस्कार जैसी मान्यता का मौका नहीं मिला।

22 अप्रैल को जम्मू और कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद भारतीय सेना ने 7 मई पाकिस्तान में घुसकर ऑपरेशन सिंदूर को अंजाम दिया था। इसके तहत पड़ोसी मुल्क में मौजूद आतंकवादी ठिकानों को निशाना बनाया गया था। जवाब में पाकिस्तान ने भी कार्रवाई की और दोनों पक्षों के बीच जल्द ही संघर्ष विराम हो गया था। भारत ने साफ किया था कि पाकिस्तान के डीजीएमओ के अनुरोध पर सीजफायर किया गया था। जबकि, ट्रंप दावा करते हैं कि उन्होंने व्यापार के जरिए भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम कराया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संसद में भी साफ कर चुके हैं इस प्रक्रिया में किसी तीसरे देश की भूमिका नहीं रही है।

कृषि भी है वजह
रिपोर्ट में कृषि क्षेत्र का भी जिक्र है। इसमें कहा गया है कि कोई भी भारतीय सरकार आयात के लिए कृषि क्षेत्र से समझौता नहीं करेगा, क्योंकि इसके कई दुष्परिणाम होंगे। रिपोर्ट में कहा गया है कि 25 करोड़ किसान और मजदूर खेती पर निर्भर है। इसमें कहा गया है कि भारत का 40 फीसदी वर्कफोर्स कृषि क्षेत्र में हैं। खबरें थीं कि अमेरिका भारतीय बाजार में अपने कृषि और डेयरी उत्पादों के लिए जगह चाह रहा था। हालांकि, इसे लेकर सरकार ने आधिकारिक रूप से कुछ नहीं कहा है।

केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल भी साफ कर चुके हैं देश के हित को पहले रखा जाएगा। वहीं, पीएम मोदी ने भी एक कार्यक्रम में कहा था कि भारतीय किसानों और मछुआरों के हितों से कोई समझौता नहीं किया जाएगा।

 

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