हिमाचल में बाढ़ का जायजा लेने पहुंचे PM मोदी, प्रभावितों के लिए 1500 करोड़ की सहायता

नई दिल्ली

उत्तर भारत के कई राज्यों में बाढ़ और बारिश की वजह से जनजीवन काफी प्रभावित हुआ है। इस बीच पीएम मोदी आज बाढ़ प्रभावित इलाकों का जायजा लेने के लिए हिमाचल प्रदेश पहुंचे। यहां उन्होंने बाढ़ प्रभावित इलाके का हवाई सर्वेक्षण किया। इसके अलावा उन्होंने एनडीआरएफ और एसडीआरएफ के कर्मियों से मुलाकात की। पीएम मोदी ने अपने एक्स अकाउंट पर भी अपने दौरे की तस्वीरें शेयर की हैं।

सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर तस्वीरें शेयर करते हुए पीएम मोदी ने अपनी पोस्ट में लिखा, "हवाई सर्वेक्षण के जरिए हिमाचल प्रदेश में बाढ़ और लैंडस्लाइड की स्थिति का जायजा लिया। इस कठिन समय में हम प्रदेश के अपने भाई-बहनों के साथ पूरी मजबूती से खड़े हैं। इसके साथ ही प्रभावित लोगों की मदद के लिए कोई कोर-कसर नहीं छोड़ रहे हैं।"

बता दें कि पीएम मोदी ने मंगलवार को आपदा प्रभावित मंडी तथा कुल्लू जिलों का हवाई सर्वेक्षण किया और फिर कांगड़ा पहुंचे। राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ला, मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू और उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने पीएम मोदी का स्वागत किया। विपक्ष के नेता जयराम ठाकुर, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष राजीव बिंदल और अन्य भाजपा विधायक भी गग्गल एयरपोर्ट पर मौजूद थे।

1500 करोड़ की वित्तीय सहायता
प्रधानमंत्री मोदी ने हिमाचल प्रदेश के लिए 1500 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता की घोषणा की। एसडीआरएफ और प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि की दूसरी किस्त अग्रिम रूप से जारी की जाएगी। प्रधानमंत्री ने पूरे क्षेत्र और लोगों को फिर से पटरी पर लाने के लिए बहुआयामी दृष्टिकोण अपनाने का आह्वान किया। यह कार्य कई तरीकों से किया जाएगा, जैसे प्रधानमंत्री आवास योजना के माध्यम से घरों का पुनर्निर्माण, राष्ट्रीय राजमार्गों का जीर्णोद्धार, स्कूलों का पुनर्निर्माण, प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष के तहत राहत का प्रावधान और पशुधन के लिए मिनी किट जारी करना। कृषि समुदाय को सहायता प्रदान करने की महत्वपूर्ण आवश्यकता को देखते हुए, विशेष रूप से उन किसानों को अतिरिक्त सहायता प्रदान की जाएगी जिनके पास वर्तमान में बिजली कनेक्शन नहीं हैं। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत, क्षतिग्रस्त घरों की जियोटैगिंग की जाएगी। इससे नुकसान का सटीक आकलन करने और प्रभावित लोगों तक सहायता शीघ्र पहुंचाने में मदद मिलेगी।

निर्बाध शिक्षा सुनिश्चित करने के लिए, स्कूल नुकसान की सूचना दे सकेंगे और उसे जियोटैग कर सकेंगे, जिससे समग्र शिक्षा अभियान के तहत समय पर सहायता मिल सकेगी। जल संचयन हेतु पुनर्भरण संरचनाओं का निर्माण किया जाएगा ताकि वर्षा जल का संग्रहण और भंडारण किया जा सके। इन प्रयासों से भूजल स्तर में सुधार होगा और बेहतर जल प्रबंधन को बढ़ावा मिलेगा। केंद्र सरकार ने नुकसान का आकलन करने के लिए हिमाचल प्रदेश का दौरा करने के लिए अंतर-मंत्रालयी केंद्रीय दल पहले ही भेज दिए हैं और उनकी विस्तृत रिपोर्ट के आधार पर आगे की सहायता पर विचार किया जाएगा।

मुआवजा राशि का ऐलान
प्रधानमंत्री ने आपदा से प्रभावित परिवारों से भी मुलाकात की। उन्होंने जान गंवाने वालों के परिजनों के प्रति अपनी संवेदना और गहरा दुख व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार इस कठिन समय में राज्य सरकार के साथ मिलकर काम करेगी और हर संभव सहायता प्रदान करेगी। प्रधानमंत्री मोदी ने बाढ़ और प्राकृतिक आपदा में मृतकों के परिजनों को 2-2 लाख रुपये और गंभीर रूप से घायलों को 50,000 रुपये की अनुग्रह राशि देने की भी घोषणा की। प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि आपदा प्रबंधन नियमों के तहत सभी प्रकार की सहायता प्रदान की जा रही है, जिसमें राज्यों को अग्रिम राशि का भुगतान भी शामिल है। उन्होंने तत्काल राहत और बचाव कार्यों में एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, सेना, राज्य प्रशासन और अन्य सेवा-उन्मुख संगठनों के कर्मियों के प्रयासों की सराहना की। केंद्र सरकार राज्य के ज्ञापन और केंद्रीय टीमों की रिपोर्ट के आधार पर आकलन की आगे समीक्षा करेगी। प्रधानमंत्री ने स्थिति की गंभीरता को स्वीकार किया और आश्वासन दिया कि केंद्र सरकार स्थिति से निपटने के लिए हर संभव प्रयास करेगी।

बादल फटने से हुआ नुकसान
राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र के अनुसार, हिमाचल प्रदेश में 20 जून से आठ सितंबर तक बादल फटने, भारी बारिश से अचानक बाढ़ आने और भूस्खलन के कारण 4,122 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। राज्य में वर्षा जनित घटनाओं और सड़क दुर्घटनाओं में 370 लोगों की मौत हो गई है। इनमें से 205 लोगों की मौत बारिश से जुड़ी घटनाओं के कारण हुईं। इनमें 43 मौतें भूस्खलन से, 17 बादल फटने से और नौ अचानक आई बाढ़ से हुईं। इसके अलावा, 41 लोग अब भी लापता बताए जा रहे हैं, जबकि सड़क दुर्घटनाओं में 165 मौतें हुई हैं।

प्रधानमंत्री मोदी के हिमाचल प्रदेश दौरे से पहले सीएम सुक्खू ने कहा कि वह प्रधानमंत्री से वन संरक्षण अधिनियम में छूट देने का आग्रह करेंगे, ताकि मानसून आपदा के कारण भूमिहीन हुए लोगों को वन भूमि प्रदान की जा सके। प्रधानमंत्री के आगमन से कुछ घंटे पहले ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में उन्होंने कहा कि राज्य अपने प्रियजनों को खोने, गांवों के मलबे में दबने तथा सड़कों व बिजली आपूर्ति को व्यापक नुकसान पहुंचने का दर्द झेल रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि वह प्रधानमंत्री मोदी से पहाड़ी राज्यों में सतत विकास के लिए रणनीति तैयार करने पर चर्चा शुरू करने का आग्रह करेंगे और प्रधानमंत्री के समक्ष यह प्रश्न भी उठाएंगे कि क्या पहाड़ी राज्यों में अपनाया जा रहा विकास मॉडल टिकाऊ है और जलवायु परिवर्तन के प्रतिकूल प्रभाव से पहाड़ों को कैसे बचाया जा सकता है।

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