होलिका दहन के लिए 5 हजार से ज्यादा कंडे ओर गोकाष्ठ का निर्माण श्री गणेश गौशाला में तैयार

खंडवा
 होलिका दहन के लिए 5 हजार से ज्यादा कंडे ओर गोकाष्ठ का निर्माण श्री गणेश गौशाला में तैयार किया जा रहा है। गोशाला समिति द्वारा 10 मार्च तक परिसर में कंडे ओर गोकाष्ठ तैयार कराया जाएगा। जिन्हें गोसेवा के न्यूनतम शुल्क पर होलिका दहन के लिए समाज व समितियों को उपलब्ध कराए जाएंगे। होलिका दहन के लिए गोबर के कंडे और गोकाष्ठ का उपयोग कर पर्यावरण संरक्षण का संदेश और प्रदूषण रोकने यह पहल की जा रही है।

पेड़ों की कटाई रोकने यह अभियान

दरअसल शहर में 200 से अधिक स्थानों पर छोटी-बड़ी होलिका का दहन किया जाएगा। जिसमें लकड़ी का उपयोग किया जाता है। होलिका दहन 13 मार्च और रंग का त्योहार होली 14 मार्च को खेली जाएगी। पर्यावरण संरक्षण के लिए शहर में गोकाष्ठ और कंडे की पहल श्री गणेश गौशाला द्वारा की गई है। इस बार भी होलिका दहन में लकड़ी की जगह कंडे और गोकाष्ठ के उपयोग का आह्वान किया जा रहा है। लगातार बढ़ते प्रदूषण और पेड़ों की कटाई को रोकने के लिए यह अभियान चलाया जा रहा है। शहर के समाज और कई संगठन आगे आए हैं, जिन्होंने गोकाष्ठ से होली जलाने व कॉलोनियों में इसे उपलब्ध कराने का फैसला किया है।

पर्यावरण को सुरक्षित किया जा सके

श्री गणेश गोशाला में निर्मित किए जा रहे गोकाष्ठ को लेकर गोशाला के सदस्य भूपेंद्रसिंह चौहान ने बताया कि होलिका दहन के लिए पिछले सवा महीने से 20 कर्मचारियों द्वारा ये काम किया जा रहा है। अबतक लगभग 5 हजार से अधिक कंडे थापे जा चुके है। वहीं गोकाष्ठ का निर्माण मशीन से भी बड़ी संख्या में किया जा रहा है। ये पूरा कार्य 10 मार्च तक किया जाएगा। समिति द्वारा कंडे व गोकाष्ठ गोसेवा शुल्क के भुगतान के आधार पर दिए जाएंगे। होलिका दहन के लिए लिए समितियां और संस्थाओं के साथ समाजों के अध्यक्ष व रहवासी लगातार संपर्क कर रहे हैं, ताकि इस बार भी होलिका दहन में कंडे व गोकाष्ठ का ही उपयोग कर पर्यावरण को सुरक्षित किया जा सके।

गो-काष्ठ को लेकर लोगों में जागरूकता

गौशाला के सचिव रामचंद्र मौर्य ने बताया गो-काष्ठ को लेकर लोगों में जागरूकता है। होलिका दहन के लिए व्यक्ति व संस्थाओं के लोग अपनी आवश्यकता अनुसार गो-काष्ठ गोशाला से ले जाने की मांग कर रहे है। दो माह में गोशाला में अच्छी तादाद में गो-काष्ठ का निर्माण किया जा रहा है। सभी कर्मचारी अपने अपने हिसाब से गौमाता की सेवा कर रहे हैं।

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