एक हो जाएगा इंसानी और मशीनी दिमाग, गूगल के पूर्व इंजीनियर रे कुर्जवील का दावा

वॉशिंगटन

अमरता यानी कभी न मरने का सपना इंसानों की सोच में कई हजार सालों से बसा हुआ है। कभी इसे कहानियों में अमृत के रूप में देखा गया, तो कभी साइंस फिक्शन फिल्मों में दिखाया गया कि इंसान टेक्नोलॉजी मदद से मौत को मात दे सकता है। अब तक सिर्फ कल्पना में ही सच लगने वाला यह सिद्धांत जल्द हकीकत बन सकता है। दरअसल तेजी से बढ़ती टेक्नोलॉजी जैसे कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, जेनेटिक इंजीनियरिंग और नैनोटेक्नोलॉजी इंसान को बहुत ही जल्द अमर बना देंगी। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट् के मुताबिक यह कहना है मशहूर भविष्यवक्ता या भविष्य वैज्ञानिक और गूगल के पूर्व इंजीनियर रे कुर्जवील का। कुर्जवील ने हाल ही में दावा किया है कि इंसान 2030 तक अमर हो सकते हैं। उनके इस बयान ने दुनिया भर में एक बार फिर अमरता को लेकर चर्चा छेड़ दी है। इसके पीछे उन्होंने किसी चमत्कार नहीं बल्कि टेकनोलॉजी को ही आधार बताया है। चलिए जानते हैं कुर्जवील के दावों के पीछे कितना दम है?

कौन हैं रे कुर्जवील
रे कुर्जवील के दावों के बारे में जानने से पहले जान लेते हैं कि रे कुर्जवील हैं कौन। दरअसल कुर्जवील टेक्नोलॉजी से जुड़े बड़े-बड़े दावों के लिए जाने जाते हैं, और हैरानी की बात यह है कि उनके ज्यादातर दावे सच भी साबित हुए हैं। यही वजह है कि उन्हे भविष्यवक्ता या भविष्य वैज्ञानिक कहा जाता है। उन्होंने कई साल पहले इंटरनेट, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और बायोलॉजी व कंप्यूटर के मेल जैसी चीजों की भविष्यवाणी की थी। समय के साथ यह सब सच साबित हुआ है। बता दें कि उनकी 147 में से करीब 86% भविष्यवाणियां सही साबित हुई हैं। इसी के चलते उन्हें 1999 में अमेरिका का सबसे बड़ा तकनीकी सम्मान 'नेशनल मेडल ऑफ टेक्नोलॉजी' भी मिला। उनकी खुद की नई-नई तकनीकों पर रिसर्च और काम की वजह से ही उनकी बातों को गंभीरता से लिया जाता है।

नैनोबॉट्स का कमाल
प्रसिद्ध भविष्य वैज्ञानिक रे कुर्जवील का कहना है कि 2030 तक इंसान जैविक रूप से अमर हो सकते हैं। यह बात सुनने में भले विश्वास के लायक न लगे, लेकिन इसके पीछे मजबूत वैज्ञानिक आधार हैं। कुर्जवील के मुताबिक, भविष्य की चिकित्सा प्रणाली में नन्हें रोबोट्स यानी नैनोबॉट्स का अहम रोल होगा। ये नन्हें-नन्हें रोबोट हमारे शरीर की नसों में घूमते रहेंगे और शरीर के अंदर से हेल्थ की निगरानी करेंगे। इनका काम टूटी हुई कोशिकाओं की मरम्मत करना और उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को उल्टा करना होगा। अगर यह तकनीक सच साबित होती है, तो न सिर्फ बीमारियों को पहले ही ठीक किया जा सकेगा, बल्कि बुढ़ापे को भी रोक दिया जाएगा।

एक हो जाएगा इंसानी और मशीनी दिमाग
रे कुर्जवील का कहना है कि आने वाले सालों में न सिर्फ इंसानों का शरीर बदलेगा, बल्कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी कि AI भी एक नए दौर में पहुंच जाएगा। उनके अनुसार, साल 2029 तक मशीनें इंसानों जैसी बुद्धि हासिल कर लेंगी और ट्यूरिंग टेस्ट पास कर सकेंगी। ट्यूरिंग टेस्ट का मतलब है कि मशीनें इंसानों जैसा व्यवहार करने लगेंगी जिसमें फर्क करना मुश्किल हो जाएगा। उनका दावा है कि भविष्य में इंसान और AI सिर्फ साथ-साथ काम नहीं करेंगे बल्कि वह एक ही हो जाएंगे। जब इंसानी दिमाग और AI का मेल होगा, तब हमारी याददाश्त, सोचने की क्षमता और निर्णय लेने की शक्ति हमारी सोच से भी कहीं आगे बढ़ जाएगी।

2045 तक बदल जाएगी मानव सभ्यता
रे कुर्जवील की भविष्यवाणी "सिंग्युलैरिटी" के सिद्धांत से जुड़ी है। दरअसल सिंग्युलैरिटी का मतलब उस समय से है जब तकनीकी विकास इतनी तेजी से होगा कि वह पूरी मानव सभ्यता को बदल देगा। कुर्जवील का मानना है कि यह बदलाव साल 2045 तक आएगा। उस समय इंसानी बुद्धि अरबों गुना बढ़ जाएगी, क्योंकि हम अपनी बनाई तकनीकों से पूरी तरह जुड़ जाएंगे। तब चेतना सिर्फ आपके शरीर तक सीमित नहीं रहेगी। इसे डिजिटल रूप में अपलोड किया जा सकेगा और अमर बनाया जा सकेगा।

क्या है वर्तमान स्थिति
दुनिया में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की क्रांति की शुरुआत हो चुकी है। 2023 में Google और Microsoft जैसी बड़ी टेक कंपनियों ने एडवांस AI चैटबॉट लॉन्च किए, जिन्होंने लोगों को हैरान भी किया और डराया भी। आज जो AI हमारे बीच मौजूद है वह खुद सीखता है, सुधार करता है और इंसानों के नियंत्रण से बाहर भी जा सकता है। ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि यह आधुनिकता भविष्य में कौन सा रास्ता लेती है।

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