बॉम्बे हाई कोर्ट से BCCI को लगा तगड़ा झटका, जिस टीम को IPL से किया बाहर; उसे देने होंगे 538 करोड़ रुपये

मुंबई
 बॉम्बे हाई कोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाया। कोर्ट ने कोची टस्कर्स नाम की आईपीएल टीम के पक्ष में 538 करोड़ रुपये से ज्यादा के जुर्माने को सही ठहराया है। ये टीम अब बंद हो चुकी है। कोर्ट ने बीसीसीआई की चुनौती को खारिज कर दिया है। जस्टिस आर आई चागला ने कहा कि आर्बिट्रेशन एक्ट की धारा 34 के तहत कोर्ट का अधिकार सीमित है। कोर्ट, आर्बिट्रेटर के फैसले पर दोबारा विचार नहीं कर सकता।
क्या है पूरा मामला?

विवाद तब शुरू हुआ जब बीसीसीआई ने 2011 में कोची टस्कर्स टीम को खत्म कर दिया। बीसीसीआई का कहना था कि टीम अपने मालिकाना हक के विवादों के बीच 10% बैंक गारंटी देने में नाकाम रही। कोची टस्कर्स टीम ने 2011 में Rendezvous Sports World (RSW) के नेतृत्व में आईपीएल में भाग लिया था। इसे कोची क्रिकेट प्राइवेट लिमिटेड (KCPL) चलाती थी। KCPL ने बैंक गारंटी में देरी के लिए कई वजहें बताईं। इनमें स्टेडियम की उपलब्धता, शेयरहोल्डिंग पर सरकारी मंजूरी और आईपीएल मैचों की संख्या में कमी शामिल थी। इन सबके बावजूद, बीसीसीआई ने KCPL के साथ बातचीत जारी रखी और टीम को खत्म करने से पहले भुगतान भी स्वीकार किए।

जस्टिस चागला ने कहा, 'आर्बिट्रेशन एक्ट की धारा 34 के तहत इस कोर्ट का अधिकार बहुत सीमित है। बीसीसीआई का विवाद के गुण-दोषों में जाने का प्रयास एक्ट की धारा 34 के दायरे के खिलाफ है। सबूतों और गुण-दोषों के संबंध में दिए गए निष्कर्षों से बीसीसीआई की असंतुष्टि, फैसले पर हमला करने का आधार नहीं हो सकती।' इसका मतलब है कि कोर्ट, आर्बिट्रेटर के फैसले को आसानी से नहीं बदल सकता।

2015 में पक्ष में आया था फैसला

2012 में, KCPL और RSW दोनों ने आर्बिट्रेशन की कार्यवाही शुरू की। 2015 में फैसला उनके पक्ष में आया। ट्रिब्यूनल ने KCPL को मुनाफे के नुकसान के लिए 384 करोड़ रुपये और RSW को बैंक गारंटी के गलत इस्तेमाल के लिए 153 करोड़ रुपये देने का आदेश दिया। इसके साथ ही, ब्याज और कानूनी खर्च भी देने को कहा गया। बीसीसीआई ने इन फैसलों का विरोध किया। उनका कहना था कि ट्रिब्यूनल ने अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर काम किया है और कानूनी सिद्धांतों को गलत तरीके से लागू किया है। बीसीसीआई ने तर्क दिया कि KCPL की बैंक गारंटी देने में विफलता एक गंभीर उल्लंघन था, जिसके कारण टीम को खत्म करना सही था।

KCPL और RSW ने जवाब दिया कि बीसीसीआई ने अपने आचरण से गारंटी की समय सीमा को माफ कर दिया था। उन्होंने कहा कि टीम को खत्म करना गलत और अनुचित था। उन्होंने कहा कि आर्बिट्रेटर का फैसला सही सबूतों पर आधारित था। कोर्ट ने कहा, 'आर्बिट्रेटर का यह निष्कर्ष कि बीसीसीआई द्वारा कोची टीम को खत्म करना अनुबंध का उल्लंघन था, आर्बिट्रेशन एक्ट की धारा 34 के तहत इसमें कोई हस्तक्षेप नहीं किया जाएगा।'

कोर्ट ने नहीं किया बीसीसीआई को सपोर्ट

कोर्ट को आर्बिट्रेटर के निष्कर्षों में हस्तक्षेप करने का कोई कारण नहीं मिला। कोर्ट ने कहा कि अगर कोई दूसरा विचार संभव भी हो, तो भी फैसले में हस्तक्षेप नहीं किया जाएगा। कोर्ट ने कहा, 'इस प्रकार, रिकॉर्ड पर मौजूद इन तथ्यों और दस्तावेजों के आधार पर, विद्वान आर्बिट्रेटर का यह निष्कर्ष कि बीसीसीआई ने 22 मार्च, 2011 को या उससे पहले 2012 सीजन के लिए बैंक गारंटी देने की KCPL-FA की धारा 8.4 की आवश्यकता को माफ कर दिया था।' इसका मतलब है कि बीसीसीआई ने बैंक गारंटी की समय सीमा को माफ कर दिया था।

बीसीसीआई के पास अब इस फैसले को चुनौती देने के लिए छह सप्ताह का समय है। सीधे शब्दों में कहें तो, बॉम्बे हाई कोर्ट ने कोची टस्कर्स टीम के पक्ष में फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा कि बीसीसीआई ने गलत तरीके से टीम को खत्म किया था और टीम को मुआवजा मिलना चाहिए।

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