ट्रंप का बयान: कोर्ट का फैसला देश को तबाह कर देगा

न्यूयॉर्क 

अमेरिका की राजनीति और अर्थव्यवस्था में हलचल मचाते हुए  एक अपील कोर्ट ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के अधिकांश टैरिफ को गैरकानूनी करार दिया. यूएस कोर्ट ऑफ अपील्स फॉर द फेडरल सर्किट का कहना है कि राष्ट्रपति को आपातकालीन शक्तियां प्राप्त तो हैं, लेकिन इनमें टैरिफ या टैक्स लगाने का अधिकार नहीं है.

यह फैसला ट्रंप की आर्थिक नीतियों पर बड़ा झटका माना जा रहा है. एपी की रिपोर्ट के मुताबिक कोर्ट ने टैरिफ को 14 अक्टूबर तक यथावत रखने की अनुमति भी दे दी, जिससे ट्रंप प्रशासन को मामला सुप्रीम कोर्ट में ले जाने का अवसर मिल गया है.

उधर, राष्ट्रपति ट्रंप ने अदालत के आदेश को सिरे से खारिज कर दिया और कहा कि सभी टैरिफ आगे भी लागू रहेंगे. उन्होंने कोर्ट के इस फैसले को गलत और पक्षपाती बताया और कहा कि अगर इसे ऐसे ही रहने दिया तो ये फैसला अमेरिका को तबाह कर देगा. हम सुप्रीम कोर्ट की मदद से टैरिफ का इस्तेमाल अपने राष्ट्र के हित में करेंगे.

ट्रंप ने कोर्ट को बताया पक्षपातपूर्ण

ट्रंप ने सोशल मीडिया मंच ट्रुथ सोशल पर लिखा, “सभी टैरिफ अभी भी लागू हैं. आज एक बेहद पक्षपातपूर्ण अपील अदालत ने गलत तरीके से कहा कि हमारे टैरिफ हटा दिए जाने चाहिए, लेकिन वे जानते हैं कि अंत में जीत अमेरिका की ही होगी. अगर ये टैरिफ कभी हट भी गए, तो यह देश के लिए एक बड़ी आपदा होगी."

ट्रंप ने अपने बयान में व्यापार घाटे और विदेशी देशों द्वारा लगाए गए अनुचित शुल्कों का मुद्दा भी उठाया. उन्होंने लिखा, "अमेरिका अब भारी व्यापार घाटे और दूसरे देशों, चाहे वे मित्र हों या शत्रु, द्वारा लगाए गए अनुचित टैरिफ और गैर-टैरिफ व्यापार बाधाओं को बर्दाश्त नहीं करेगा, जो हमारे उत्पादकों, किसानों और बाकी सभी को कमजोर करते हैं. अगर इसे ऐसे ही रहने दिया गया, तो यह फैसला सचमुच अमेरिका को तबाह कर देगा."

सुप्रीम कोर्ट का सहारा लेगा ट्रंप प्रशासन

उन्होंने आगे कहा कि लेबर डे वीकेंड की शुरुआत में हम सभी को यह याद रखना चाहिए कि टैरिफ हमारे मजदूरों की मदद करने और बेहतरीन मेड इन अमेरिका उत्पाद बनाने वाली कंपनियों का समर्थन करने का सबसे अच्छा जरिया है. कई सालों तक हमारे बेपरवाह और नासमझ राजनेताओं ने टैरिफ का इस्तेमाल हमारे खिलाफ होने दिया. अब, अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट की मदद से हम इनका (टैरिफ) इस्तेमाल अपने राष्ट्र के हित में करेंगे और अमेरिका को फिर से समृद्ध, मजबूत और शक्तिशाली बनाएंगे.

अमेरिकी कोर्ट ने टैरिफ पर दिया ये फैसला

बता दें कि अमेरिकी अपील कोर्ट ने एक अहम फैसले में कहा कि डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगाए गए अधिकांश टैरिफ (शुल्क) गैरकानूनी हैं. वाशिंगटन डीसी स्थित यूएस कोर्ट ऑफ अपील्स फॉर द फेडरल सर्किट ने कहा कि कानून राष्ट्रपति को राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा के बाद कई कार्रवाई करने की शक्ति देता है, लेकिन इनमें कहीं भी टैरिफ या कर लगाने की अनुमति का उल्लेख नहीं है.

यह फैसला अप्रैल में लगाए गए रेसिप्रोकल टैरिफ और फरवरी में चीन, कनाडा और मैक्सिको पर लगाए गए शुल्क से जुड़ा है. हालांकि यह निर्णय ट्रंप के अन्य कानूनी प्रावधानों के तहत जारी टैरिफ (जैसे स्टील और एल्युमिनियम पर लगाए गए शुल्क) पर असर नहीं डालेगा.

ट्रंप प्रशासन ने दिया IEEPA का हवाला

कोर्ट में ट्रंप प्रशासन ने अपने फैसलों का आधार इंटरनेशनल इमरजेंसी इकोनॉमिक पावर्स एक्ट (IEEPA) को बताया. यह 1977 का कानून राष्ट्रपति को असामान्य और असाधारण खतरे से निपटने के लिए आपात स्थिति में कदम उठाने की शक्ति देता है. पहले इसका इस्तेमाल दुश्मन देशों पर प्रतिबंध लगाने या उनकी संपत्ति जब्त करने के लिए किया जाता था.

ट्रंप पहले अमेरिकी राष्ट्रपति हैं जिन्होंने IEEPA का इस्तेमाल टैरिफ लगाने के लिए किया. उनका तर्क है कि लगातार बढ़ता व्यापार घाटा, अमेरिकी मैन्युफैक्चरिंग की कमजोरी और मादक पदार्थों की तस्करी से देश को खतरा है. इसी आधार पर उन्होंने चीन, कनाडा और मैक्सिको पर शुल्क लगाया और कहा कि ये देश अवैध फेंटानिल की तस्करी रोकने में नाकाम हैं.

हालांकि कोर्ट का कहना है कि कांग्रेस ने IEEPA बनाते समय राष्ट्रपति को असीमित टैरिफ लगाने का अधिकार देने का इरादा नहीं किया था. संविधान के अनुसार टैक्स और शुल्क लगाने की शक्ति कांग्रेस को है. यदि यह शक्ति राष्ट्रपति को सौंपी भी जाती है तो वह स्पष्ट और सीमित होनी चाहिए.

पहले भी कोर्ट टैरिफ को बता चुकीं असंवैधानिक

इससे पहले न्यूयॉर्क स्थित यूएस कोर्ट ऑफ इंटरनेशनल ट्रेड ने भी 28 मई को कहा था कि ट्रंप ने अपने अधिकारों का उल्लंघन करते हुए ये टैरिफ लगाए. इस तीन-न्यायाधीशीय पैनल में एक न्यायाधीश भी शामिल थे जिन्हें ट्रंप ने ही नियुक्त किया था. इसी तरह वाशिंगटन की एक अन्य अदालत ने भी IEEPA के तहत टैरिफ लगाने को असंवैधानिक बताया था. अब तक कम से कम आठ मुकदमे ट्रंप की टैरिफ नीतियों को चुनौती दे चुके हैं, जिनमें कैलिफोर्निया राज्य का केस भी शामिल है.

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