बीजेपी गठबंधन टूटा: 2026 से पहले राजनीतिक हलचल तेज

तमिलनाडु 
तमिलनाडु की राजनीति में आगामी 2026 में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले बड़ा उलटफेर देखने को मिला है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) से दो प्रमुख सहयोगियों ने किनारा कर लिया है।  

 टी.टी.वी. दिनाकरन की पार्टी ने तोड़ा एनडीए से नाता
अम्मा मक्कल मुनेत्र कड़गम (AMMK) के महासचिव टी.टी.वी. दिनाकरन ने आधिकारिक रूप से एलान किया कि उनकी पार्टी अब एनडीए का हिस्सा नहीं रहेगी। उन्होंने बताया कि यह निर्णय पार्टी के पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं से विचार-विमर्श के बाद लिया गया है। दिनाकरन ने साफ किया कि 2024 लोकसभा चुनावों में उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व का समर्थन किया था, लेकिन आगामी 2026 विधानसभा चुनावों के लिए वह नया गठबंधन बनाने या अकेले चुनाव लड़ने पर विचार कर रहे हैं, जिसका एलान दिसंबर 2025 में किया जाएगा।

NDA से अलग हुए ओ. पन्नीरसेल्वम भी
दिनाकरन के अलावा तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री ओ. पन्नीरसेल्वम (OPS) ने भी भाजपा गठबंधन से दूरी बना ली है। चेन्नई के अलवरपेट में आयोजित अपने समर्थकों की बैठक में उन्होंने एनडीए से अलग होने का ऐलान किया और साफ किया कि वर्तमान में उनका समूह किसी भी पार्टी के साथ गठबंधन में नहीं है।
बैठक में यह भी प्रस्ताव पारित किया गया कि पन्नीरसेल्वम जल्द ही राज्यव्यापी दौरे पर निकलेंगे, ताकि अपने राजनीतिक एजेंडे को जनता के सामने रख सकें।

2026 विधानसभा चुनाव से पहले राजनीतिक समीकरणों में बदलाव
तमिलनाडु में 2026 में विधानसभा चुनाव होने हैं और उससे पहले प्रदेश की राजनीति में गठबंधनों का पुनर्गठन जोरों पर है। वर्तमान में राज्य की सत्ता द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK) के पास है और मुख्य विपक्ष में अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (AIADMK) और भाजपा का गठबंधन है। हालांकि अब AMMK और OPS के एनडीए से हटने के बाद भाजपा के लिए दक्षिण भारत में अपनी राजनीतिक पकड़ बनाए रखना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
 
लोकसभा और विधानसभा में AMMK की स्थिति
टी.टी.वी. दिनाकरन की पार्टी AMMK का फिलहाल लोकसभा या विधानसभा में कोई प्रतिनिधित्व नहीं है। दिनाकरन स्वयं कभी AIADMK के प्रभावशाली नेता रहे हैं और संसद (लोकसभा व राज्यसभा) के सदस्य भी रह चुके हैं। 2018 में AIADMK से निष्कासित होने के बाद उन्होंने AMMK की स्थापना की थी। हालांकि फिलहाल उनकी पार्टी की कोई संसदीय ताकत नहीं है, लेकिन तमिलनाडु के कुछ क्षेत्रों में उनका प्रभाव अब भी बना हुआ है, खासकर रामनाथपुरम और मदुरै जैसे इलाकों में।

 

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