कीमत चुकानी पड़ती है – वायुसेना प्रमुख ने समझाया ऑपरेशन सिंदूर रोकने का कारण

नई दिल्ली 
भारतीय वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह ने ऑपरेशन सिंदूर को लेकर बड़ा खुलासा किया। उन्होंने बताया कि आखिर क्यों महज चार दिनों में ही ऑपरेशन सिंदूर रोकना पड़ा। वायुसेना प्रमुख ने कहा कि जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में पर्यटकों पर हुए आतंकी हमले के जवाब में शुरू किया गया ऑपरेशन सिंदूर केवल चार दिनों में समाप्त कर दिया गया, क्योंकि भारत ने अपने उद्देश्यों को हासिल कर लिया था। इस ऑपरेशन में पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में आतंकवादी संगठनों के नौ प्रमुख ठिकानों को नष्ट कर दिया गया।

एयर चीफ मार्शल सिंह ने कहा, "हमारा उद्देश्य आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई करना था। हमने आतंकी ठिकानों पर सटीक हमले किए और अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर लिया। जब उद्देश्य पूरे हो गए, तो हमें युद्ध को समाप्त करने में देरी क्यों करनी चाहिए? प्रत्येक संघर्ष की एक बड़ी कीमत चुकानी पड़ती है जो हमारी अगली तैयारियों, अर्थव्यवस्था और देश की प्रगति को प्रभावित करती है।"

वायु सेना प्रमुख ने कहा कि दुनिया को भारत से यह सबक सीखना चाहिए कि किसी संघर्ष को कैसे शुरू किया जाए और उसे यथाशीघ्र कैसे समाप्त किया जाए। उन्होंने विश्व के चल रहे संघर्षों, जैसे रूस-यूक्रेन और इजरायल के युद्धों का जिक्र करते हुए कहा कि ये युद्ध वर्षों से चल रहे हैं, क्योंकि कोई भी संघर्ष को समाप्त करने की रणनीति पर ध्यान नहीं दे रहा। उन्होंने कहा कि लक्ष्य बदलने या अहंकार के कारण युद्ध को लंबा खींचना गलत है।

पहलगाम हमले का जवाब: ऑपरेशन सिंदूर
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 पर्यटकों की जान चली गई थी। इसके जवाब में भारतीय सशस्त्र बलों ने पाकिस्तान और पीओके में नौ प्रमुख आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया। इनमें जैश-ए-मोहम्मद का बहावलपुर मुख्यालय और लश्कर-ए-तैयबा का मुरिदके मुख्यालय शामिल थे। इन केंद्रों पर भारत विरोधी आतंकवादी गतिविधियों की योजना बनाई जाती थी।

भारतीय वायुसेना द्वारा जारी किए गए वीडियो में इन ठिकानों पर हुए हमलों की तीव्रता और विनाश का स्तर स्पष्ट दिखाई देता है। हमलों में आतंकी संगठनों के वरिष्ठ नेताओं के आवासीय क्षेत्रों और कार्यालयों को नष्ट कर दिया गया, जहां कमांडर अपनी योजनाएं बनाते थे।

ऑपरेशन की पूरी स्वतंत्रता दी गई थी
एक कार्यक्रम में अपने संबोधन में वायु सेना प्रमुख ने कहा कि सेना को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के लिए पूरी स्वतंत्रता दी गई थी और राजनीतिक नेतृत्व ने उस पर कोई पाबंदी नहीं लगाई गई थी। एयर चीफ मार्शल ने कहा कि 7-10 मई को पाकिस्तान के साथ हुए संघर्ष के दौरान वायु शक्ति की उत्कृष्टता प्रदर्शित हुई थी। उन्होंने कहा कि एस-400 मिसाइल प्रणाली बाजी पलटने वाली साबित हुई, क्योंकि इस हथियार का दायरा और ताकत को देखते हुए दुश्मन घबरा गया था।

एयर चीफ मार्शल ने कहा कि पाकिस्तान के कई सैन्य ठिकानों को नुकसान पहुंचा। उन्होंने कहा, “उसकी (पाकिस्तान) कई सैन्य सुविधाएं, रडार, नियंत्रण एवं समन्वय केंद्र, हैंगर, विमान, सभी को भारी नुकसान हुआ।” वायु सेना प्रमुख ने 2019 के बालाकोट हवाई हमलों की प्रभावशीलता का सबूत मांगने वालों पर निशाना साधते हुए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान पाकिस्तान को हुए नुकसान का कुछ ग्राफिक विवरण दिखाया।

"वे (पाकिस्तान) पीछे हट गए थे, इसमें कोई संदेह नहीं है"
एयर चीफ मार्शल सिंह ने कहा कि दुनियाभर में लंबे समय से चल रहे अनेक युद्धों की पृष्ठभूमि में संघर्ष समाप्ति इस अभियान का एक महत्वपूर्ण पहलू था। उन्होंने इस विचार को भी खारिज कर दिया कि भारत को पाकिस्तान के खिलाफ सैन्य अभियान जारी रखना चाहिए था। वायु सेना प्रमुख ने कहा, “हमने लोगों को यह कहते हुए सुना कि हमें थोड़ा और प्रयास करना चाहिए था। हमने युद्ध बहुत जल्दी रोक दिया। हां, वे (पाकिस्तान) पीछे हट गए थे, इसमें कोई संदेह नहीं है, लेकिन हमारा उद्देश्य क्या था? हमारा उद्देश्य आतंकवाद विरोधी था।”

उन्होंने कहा, “हमें उन पर हमला करना ही था। हमने ऐसा किया भी। इसलिए अगर हमारे उद्देश्य पूरे हो गए, तो फिर हमें संघर्ष क्यों नहीं समाप्त करना चाहिए? हमें संघर्ष क्यों जारी रखना चाहिए? क्योंकि किसी भी संघर्ष की बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ती है।” एयर चीफ मार्शल सिंह ने कहा कि इस अभियान के जारी रहने से “अगले अभियान के लिए हमारी तैयारियों” पर असर पड़ सकता था। उन्होंने कहा, “इससे हमारी अर्थव्यवस्था प्रभावित होती। इसका असर देश की सामान्य प्रगति पर भी पड़ता।”

रूस-यूक्रेन युद्ध सहित विभिन्न मौजूदा संघर्षों का हवाला देते हुए वायु सेना प्रमुख ने कहा कि जब युद्ध शुरू होता है, तो दुनिया अपने उद्देश्यों को भूल जाती है। उन्होंने कहा, “अब उनका उद्देश्य बदल रहा है। अहंकार बीच में आ रहा है। और यहीं पर मुझे लगता है कि दुनिया को भारत से यह सबक सीखना चाहिए कि किसी संघर्ष को कैसे शुरू किया जाए और उसे यथाशीघ्र कैसे समाप्त किया जाए।”

 

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