जीरो पेंडेंसी माह में बेहतरीन दावा निस्तारण के लिए मप्र को बड़े राज्यों में पहला स्थान

जीरो पेंडेंसी माह में दावा निस्तारण में उत्कृष्ट कार्य पर मध्यप्रदेश को बड़े राज्यों की श्रेणी में मिला प्रथम पुरस्कार

भोपाल में संपन्न हुई दो दिवसीय राष्ट्रीय समीक्षा बैठक
प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना 2.0 और एबीडीएम 2.0 पर गहन विचार-विमर्श

भोपाल 
राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (एनएचए) द्वारा 15 और 16 अक्टूबर को मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (पीएम-जेएवाई) और आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन (एबीडीएम) पर दो दिवसीय राष्ट्रीय समीक्षा बैठक आयोजित की गई। बैठक में देशभर के राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में दोनों योजनाओं के क्रियान्वयन की समीक्षा, सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करना और भविष्य की रणनीति निर्धारित करने पर विमर्श किया गया। इस अवसर पर एनएचए के सीईओ डॉ. सुनील कुमार बर्णवाल, मध्यप्रदेश शासन के मुख्य सचिव  अनुराग जैन, एबीडीएम मिशन निदेशक  किरण गोपाल वास्का, संयुक्त सचिव (पीएम-जेएवाई) सु ज्योति यादव, तथा विभिन्न राज्यों से आए वरिष्ठ अधिकारी और विशेषज्ञ उपस्थित रहे।

बैठक में एनएचए की वार्षिक रिपोर्ट 2024-25 और राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों की बेस्ट प्रैक्टिसेज बुकलेट जारी की गई। इस रिपोर्ट में पीएम-जेएवाई और एबीडीएम के अंतर्गत हुई उपलब्धियों, नवाचारों और डिजिटलीकरण के माध्यम से स्वास्थ्य सेवाओं में आए सकारात्मक परिवर्तन को दर्शाया गया।

एनएचए के सीईओ डॉ. बर्णवाल ने कहा कि डिजिटल स्वास्थ्य एकीकरण भारत के स्वास्थ्य ढांचे को नई दिशा दे रहा है। आयुष्मान भारत अब तक 45 करोड़ से अधिक लाभार्थियों को स्वास्थ्य सुरक्षा प्रदान कर चुका है। पीएम-जेएवाई 2.0 और एबीडीएम 2.0 के माध्यम से राज्यों की सहभागिता इस अभियान को नई गति देगी।बैठक में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले राज्यों को सम्मानित किया गया। ‘जीरो पेंडेंसी माह’ के दौरान दावा निस्तारण में उत्कृष्ट कार्य करने के लिए मध्यप्रदेश को बड़े राज्यों की श्रेणी में प्रथम पुरस्कार प्राप्त हुआ। इस श्रेणी में छत्तीसगढ़ को दूसरा और उत्तराखंड को तीसरा स्थान मिला। मुख्य सचिव  अनुराग जैन ने कहा कि राज्यों को स्वास्थ्य योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन में सक्रिय भूमिका निभानी होगी।

राज्य स्वास्थ्य एजेंसी, मध्यप्रदेश के सीईओ डॉ. योगेश भरसट ने प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए राज्य की उपलब्धियों का उल्लेख किया। उन्होंने बताया कि मध्यप्रदेश ने न केवल दावा निस्तारण में गति प्राप्त की है, बल्कि डिजिटल स्वास्थ्य सेवाओं के सफल एकीकरण में भी उल्लेखनीय प्रगति की है। बैठक के दौरान प्रतिनिधियों ने एम्स भोपाल का दौरा कर वहां मरीजों की पूर्ण डिजिटल यात्रा — ऑनलाइन पंजीकरण, ई-प्रिस्क्रिप्शन, डिजिटल भुगतान आदि प्रक्रियाओं — का अनुभव किया। साथ ही, ‘सेहत सेतु’ कॉल सेंटर का निरीक्षण कर शिकायत निवारण और हेल्थ कोऑर्डिनेशन प्रणाली की सराहना की। 

 

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