ISRO का ‘बाहुबली’ सैटेलाइट: नाम ही नहीं, काम में भी है दम — जानिए क्यों है ये खास

बेंगलुरु 
इसरो कुछ ही देर में अपना सबसे भारी सैटेलाइट, सीएमएस-03 लांच करने वाला है। इसरो ने इस उपग्रह का नाम रखा है ‘बाहुबली’। इसके पीछे वजह भी बेहद दिलचस्प है। इसरो के मुताबिक यह अब तक का सबसे अधिक वजन वाला सैटेलाइट है। इसलिए ही इसे यह नाम दिया गया है। इसकी लांचिंग का वक्त करीब आता जा रहा है और उलटी गिनती चालू है।

सबसे भारी उपग्रह
अंतरिक्ष एजेंसी ने बताया कि सीएमएस-03 का वजन 4,410 किलोग्राम है। वजन वाला यह उपग्रह भारत की धरती से भू-समकालिक स्थानांतरण कक्षा (जीटीओ) में प्रक्षेपित किया जाने वाला सबसे भारी उपग्रह होगा। यह उपग्रह एलवीएम3-एम5 रॉकेट के जरिये प्रक्षेपित किया जाएगा, जिसे इसकी भारी भारोत्तोलन क्षमता के लिए ‘बाहुबली’ नाम दिया गया है। 43.5 मीटर की लंबाई वाले इस सैटेलाइट का लांचिंग टाइम पांच बजकर 26 मिनट है।

कितनी है इसकी क्षमता
एलवीएम3 यान अपने शक्तिशाली क्रायोजेनिक चरण के साथ 4,000 किलोग्राम वजन का पेलोड जीटीओ तक तथा 8,000 किलोग्राम वजन का पेलोड पृथ्वी की निचली कक्षा तक ले जाने में सक्षम है। एलवीएम-3 रॉकेट ने इससे पहले चंद्रयान-3 का सफल प्रक्षेपण किया था, जिसके जरिये भारत 2023 में चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास सफलतापूर्वक उतरने वाला पहला देश बन गया।

क्या है इसका उद्देश्य
एलवीएम3- को इसरो के वैज्ञानिक भू-समकालिक उपग्रह प्रक्षेपण यान (जीएसएलवी) एमके3 भी कहते हैं। इसरो ने कहा कि एलवीएम3-एम5 पांचवीं अभियानगत उड़ान है। दो ठोस मोटर ‘स्ट्रैप-ऑन’ (एस200), एक द्रव प्रणोदक कोर चरण (एल110) और एक क्रायोजेनिक चरण (सी25) वाला यह तीन चरणीय प्रक्षेपण यान इसरो को जीटीओ में 4,000 किलोग्राम तक वजन वाले भारी संचार उपग्रहों को प्रक्षेपित करने में पूर्ण आत्मनिर्भरता प्रदान करता है।

इसरो ने कहा कि रविवार के मिशन का उद्देश्य यह है कि बहु-बैंड संचार उपग्रह सीएमएस-03 भारतीय भूभाग सहित एक विस्तृत समुद्री क्षेत्र में सेवाएं प्रदान करेगा। हालांकि यह दावा किया जा रहा है कि उपग्रह का इस्तेमाल सैन्य निगरानी के लिए भी किया जाएगा, लेकिन इस मामले पर इसरो की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।

 

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