जब प्राथमिकी में किसी आरोपी पर बेईमानी का आरोप लगाया जाता है और सामग्री में संज्ञेय अपराध का पता चलता है- न्यायालय

नई दिल्ली
उच्चतम न्यायालय ने कहा कि जब प्राथमिकी में किसी आरोपी पर बेईमानी का आरोप लगाया जाता है और सामग्री में संज्ञेय अपराध का पता चलता है तो प्राथमिकी को रद्द करके जांच को विफल नहीं किया जा सकता।

न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा कि किसी आपराधिक कार्यवाही या प्राथमिकी को शुरुआत में ही रद्द कर दिया जाना चाहिए या नहीं, इस पर निर्णय लेते समय जांच के दौरान एकत्र की गई सामग्रियों सहित प्राथमिकी में लगाए आरोपों पर गौर किया जाना चाहिए ताकि यह तय किया जा सके कि प्रथम दृष्टया आरोपी के खिलाफ जांच के लिए मामला बनता है या नहीं।

पीठ ने  अपने फैसले में कहा, ‘‘इस प्रकार, जब प्राथमिकी में आरोपी पर बेईमान आचरण का आरोप लगाया जाता है, जिसका पता संज्ञेय अपराध का खुलासा करने वाली सामग्रियों से चलता है तो प्राथमिकी को रद्द करके जांच को विफल नहीं किया जाना चाहिए।’’

उच्चतम न्यायालय ने यह फैसला सोमजीत मलिक की अपील पर दिया है जिसने एक आरोपी के खिलाफ प्राथमिकी रद्द करने के झारखंड उच्च न्यायालय के एक फरवरी के आदेश को चुनौती दी थी।

मलिक ने आरोप लगाया था कि उसका ट्रक जुलाई 2014 से आरोपी के पास था लेकिन 12.49 लाख रुपये के बकाये समेत उसका किराया नहीं चुकाया गया।

पीठ ने कहा कि प्राथमिकी में आरोप लगाया गया कि आरोपी ने 14 जुलाई 2014 और 31 मार्च 2016 के बीच मलिक के ट्रक को 33,000 रुपये के मासिक किराये पर लिया था लेकिन पहले महीने के बाद किराया नहीं चुकाया और झूठा आश्वासन देता रहा।

उच्चतम न्यायालय ने कहा, ‘‘किराया नहीं चुकाने के आरोप से ही सामान्य तौर पर यह मान लिया जाएगा कि आरोपी ने वाहन पर कब्जा बरकरार रखा है। ऐसी परिस्थितियों में उस ट्रक का क्या हुआ, यह जांच का विषय बन जाता है। यदि इसे आरोपी ने बेईमानी से खुर्द-बुर्द कर दिया था, तो यह आपराधिक विश्वासघात का मामला बन सकता है। इसलिए जांच के दौरान एकत्रित की गयी सामग्रियों पर विचार किए बिना शुरुआत में ही प्राथमिकी रद्द करने का कोई औचित्य नहीं है।’’

उसने कहा, ‘‘हमारी राय में उच्च न्यायालय को प्राथमिकी रद्द करने के अनुरोध पर विचार करने से पहले जांच के दौरान एकत्रित की गयी सामग्रियों पर गौर करना चाहिए था।’’

उच्च न्यायालय के आदेश को रद्द करते हुए, शीर्ष अदालत ने कानून के अनुसार और जांच एजेंसी द्वारा एकत्र की गई सामग्री पर विचार करने के बाद याचिका पर नए सिरे से निर्णय लेने के लिए मामला वापस उच्च न्यायालय को भेज दिया।

 

admin

Related Posts

H-1B Visa नियमों में बड़ा बदलाव: ट्रंप प्रशासन की सख्ती, 27 फरवरी 2026 से लागू होंगे नए नियम

वाशिंगटन अमेरिका में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) के H1B Visa का खौफ टेक कंपनियों में फिर से बढ़ गया है, क्योंकि एक अमेरिकी संघीय न्यायाधीश ने इसे लेकर जो…

SIR के बाद अब जनगणना पर फोकस, 2026 में हर घर तक पहुंचेगी सरकारी टीम

देहरादून  हिमालयी राज्य उत्तराखंड में वोटर लिस्ट के विशेष पुनरीक्षण (एसआईआर) के बीच जनगणना की तैयारी भी शुरू हो गई। मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन ने जनगणना के लिए 19 विभिन्न…

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

धर्म

महाशिवरात्रि 2026: कब करें पूजा और उपवास, तारीख अभी नोट करें

महाशिवरात्रि 2026: कब करें पूजा और उपवास, तारीख अभी नोट करें

नाग पाशम मंत्र और पद्मनाभस्वामी मंदिर: दरवाज़े के पीछे छुपा सदियों पुराना रहस्य

नाग पाशम मंत्र और पद्मनाभस्वामी मंदिर: दरवाज़े के पीछे छुपा सदियों पुराना रहस्य

1 जनवरी को खास योग का निर्माण, इन शुभ कार्यों से पूरे साल चमकेगा भाग्य

1 जनवरी को खास योग का निर्माण, इन शुभ कार्यों से पूरे साल चमकेगा भाग्य

25 दिसंबर का राशिफल: नौकरी, व्यापार और स्वास्थ्य पर क्या पड़ेगा असर, जानें 12 राशियों का हाल

25 दिसंबर का राशिफल: नौकरी, व्यापार और स्वास्थ्य पर क्या पड़ेगा असर, जानें 12 राशियों का हाल

राशिफल 2026: सफलता और तरक्की के लिए इन बातों का रखें ध्यान, सभी राशियों का वार्षिक भविष्य

राशिफल 2026: सफलता और तरक्की के लिए इन बातों का रखें ध्यान, सभी राशियों का वार्षिक भविष्य

पौष पुत्रदा एकादशी 2024: 30 या 31 दिसंबर को व्रत? पढ़ें तिथि, मुहूर्त और महत्व

पौष पुत्रदा एकादशी 2024: 30 या 31 दिसंबर को व्रत? पढ़ें तिथि, मुहूर्त और महत्व