राजस्थान-मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने जनजाति क्षेत्रीय विकास के प्रतिनिधियों से की चर्चा

जयपुर।

मुख्यमंत्री श्री भजनलाल शर्मा ने कहा कि जनजाति क्षेत्र का विकास देश और प्रदेश की समावेशी प्रगति का आधार है तथा आदिवासी कल्याण एवं सशक्तीकरण से ही प्रदेश का सर्वांगीण एवं समावेशी विकास सुनिश्चित होता है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार पं. दीनदयाल उपाध्याय की अन्त्योदय व एकात्म मानववाद की अवधारणा को आत्मसात् करते हुए आदिवासी समाज के समग्र उत्थान के लिए पूरी प्रतिबद्धता के साथ कार्य कर रही है।

इसी दिशा में राज्य सरकार ने आदिवासी समाज के विकास के लिए अहम निर्णय लिए है, जिससे समाज को मूलभूत जरूरतों से लेकर उन्नति के अवसर तक हर कदम पर मदद मिल रही है। शर्मा शुक्रवार को मुख्यमंत्री कार्यालय में जनजाति क्षेत्रीय विकास विभाग के हितधारकों के साथ आगामी वित्तीय वर्ष 2025-26 के संबंध में आयोजित बजट पूर्व बैठक में चर्चा कर रहे थे। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार का प्रयास है कि सभी वर्गों एवं उनके लिए कार्य करने वाली संस्थाओं की भागीदारी सुनिश्चित करते हुए समावेशी बजट तैयार किया जाए। उन्होंने आश्वस्त किया कि जनजाति क्षेत्र के विकास व उत्थान से संबंधित विषयों पर मिले सुझावों का उचित परीक्षण कर आगामी बजट में शामिल करने का प्रयास किया जाएगा, ताकि आगामी बजट में जनजाति क्षेत्रों के विकास को और गति दी जा सके।

जनजाति गौरव को मिल रही पहचान—
मुख्यमंत्री ने कहा प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में विरासत को संजोये रखने के साथ ही विकास के नए आयाम स्थापित किए जा रहे है। हमारी सरकार भी आदिवासी समाज की संस्कृति के संरक्षण और उनके गौरव को पहचान दिलाने के लिए निरंतर कार्य कर रही हैं। राज्य सरकार द्वारा जनजाति के नायकों को पहचान दिलाने के लिए उदयपुर में कालीबाई भील, बांसवाड़ा में बांसिया चरपोटा और डूंगरपुर में डूंगर-बरंडा स्मारक बनाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि जनजाति समुदाय के योगदान को सम्मानित करने के लिए आदि गौरव सम्मान दिया जा रहा है।

बुनियादी ढांचे और सुविधाओं को किया जा रहा बेहतर—
श्री शर्मा ने कहा कि जनजाति के बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के लिए शिक्षा के बुनियादी ढांचे और सुविधाओं को बेहतर किया जा रहा है। छात्रावासों में रहने वाले विद्यार्थियों का मैस भत्ता 2 हजार 500 से बढ़ाकर 3 हजार रुपये प्रतिमाह किया गया है। उन्होंने कहा कि खेल अकादमियों में रह रहे खिलाड़ियों का भत्ता 2 हजार 600 से बढ़ाकर 4 हजार रुपये कर दिया है। उन्होंने कहा कि जनजाति के युवा अब खेल क्षेत्र में भी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना रहे हैं। जनजाति की बालिकाओं ने लेक्रोस खेल में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रजत पदक जीतकर राज्य का नाम रोशन किया है।

मां-बाड़ी केन्द्रों को सशक्त कर रही राज्य सरकार—
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार परिवर्तित बजट 2024-25 में की गई बजट घोषणाओं को धरातल पर लागू कर रही है। बजट घोषणा की अनुपालना में 7 नए आश्रम छात्रावासों और 3 नए आवासीय विद्यालयों के लिए भूमि आवंटन और संचालन की स्वीकृति दी जा चुकी है। साथ ही, चार एकलव्य मॉडल आवासीय स्कूल में क्षमता वृद्धि एवं विस्तार का काम भी पूरा कर लिया गया है। इसी तरह मां-बाड़ी केंद्रों में कार्यरत रसोइयों और शिक्षकों के मानदेय में 10 प्रतिशत की वृद्धि की है और 250 नए मां-बाड़ी केंद्र स्वीकृत किए हैं। जनजाति क्षेत्रीय विकास मंत्री श्री बाबूलाल खराड़ी ने कहा कि मुख्यमंत्री श्री भजनलाल शर्मा के नेतृत्व में राज्य सरकार जनजाति क्षेत्र को विकास की धारा से जोड़ने के लिए निरन्तर प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि जनजाति क्षेत्रों में पशुपालन, मत्स्यपालन आदि अन्य संभावनाओं को बढ़ावा दिया जाएगा।

बैठक में जनजाति सुरक्षा मंच (सिरोही), वाग्धारा संस्थान (बांसवाड़ा), दूसरा दशक संस्थान (बारां), श्री लक्ष्मीलाल डामोर (उदयपुर), वनवासी कल्याण आश्रम (उदयपुर), अरावली विचार मंच (उदयपुर) एवं बायफ संस्थान (उदयपुर) के प्रतिनिधियों एवं सामाजिक कार्यकर्ता श्री प्रभुराम गरासिया (सिरोही), श्री बद्रीनारायण (बारां), श्रीमती अर्चना सिंह चारण (उदयपुर), श्री रसिक लाल पटेल (डूंगरपुर), श्री नारायण मीणा (जयपुर), श्री महिपाल (झुन्झुनंू) सहित विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधियों ने जनजाति क्षेत्र में शिक्षा, चिकित्सा स्वास्थ्य, रोजगार, कृषि, जैविक खेती, पशुपालन, संस्कृति संरक्षण एवं पोषण के संबंध में सुझाव साझा किए। इस अवसर पर मुख्य सचिव श्री सुधांश पंत, अतिरिक्त मुख्य सचिव जल संसाधन अभय कुमार, अतिरिक्त मुख्य सचिव वित्त श्री अखिल अरोड़ा, अतिरिक्त मुख्य सचिव ऊर्जा श्री आलोक,अतिरिक्त मुख्य सचिव वन एवं पर्यावरण श्रीमती अपर्णा अरोड़ा, अतिरिक्त मुख्य सचिव ग्रामीण विकास श्रीमती श्रेया गुहा, प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री कार्यालय श्री आलोक गुप्ता सहित जनजाति क्षेत्रीय विकास विभाग के अधिकारी, संस्थाओं के प्रतिनिधि मौजूद थे।

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