महापौर पुष्यमित्र भार्गव वन नेशन वन इलेक्शन टीम में

इंदौर
महापौर पुष्यमित्र भार्गव को वन नेशन वन इलेक्शन के लिए मध्य प्रदेश टोली का सहसंयोजक बनाया गया है। हाई कोर्ट के पूर्व न्यायमूर्ति रोहित आर्य इस टोली के संयोजक होंगे। भार्गव ने बताया कि अलग-अलग प्रदेशों के लिए इस तरह की टोलियों का गठन किया गया है। देशभर की टोलियां बहुत जल्दी दिल्ली में एक संयुक्त बैठक कर आगे की कार्ययोजनाओं पर मंथन करेंगी। टोलियों को मुख्य रूप से वन नेशन वन इलेक्शन को लेकर जनजागरूकता फैलाने, आमजन से इस बारे में सुझाव लेने, प्रबुद्धजन से चर्चा करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। टोलियां लोगों को यह समझाने का प्रयास करेगी कि वन नेशन वन इलेक्शन देशहित में कितना कारगर है और भविष्य में इसके लागू होने पर आमजन को क्या फायदा होगा।

इस तरह हुआ गठन

प्रदेश महामंत्री बीजेपी भगवानदास सबनानी द्वारा इस गठन का पत्र जारी किया गया है। यह पत्रव राष्ट्रीय महामंत्री बीजेपी सुनील बंसल को संबोधित है। यह गठन प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा द्वारा किया गया है। इसमें रिटायर जस्टिस आर्य को संयोजक और महापौर भार्गव को सह संयोजक का दायित्व दिया गया है।

यह काम करेगी प्रदेश टोली

बीजेपी इस मामले में गंभीर है कि देश में वन नेशन वन इलेक्शन लागू हो। अभी यह मामला जेपीसी के पास है। इस मामले में देश में जागरूकता लाने के साथ ही लोगों के सुझाव लेने और सभी कानून पहलुओं को समझने इन सभी कामों के लिए बीजेपी प्रदेश स्तर पर यह टोलियां गठन कर रही है। इसके लिए कानून के जानकारों को आगे लाया गया है, जिससे कानून पक्ष मजबूत रहे। महापौर भार्गव को इस मामले में लंबा अनुभव रहा है और कई चुनाव याचिकाओं को भी उन्होंने हैंडल किया है। इन सभी के चलते उनका अनुभव प्रदेश टोली में काफी अहम होगा। इसे देखते हुए ही उन्हें सह संयोजक बनाया गया है। महापौर ने कहा कि प्रदेश टोली का गठन हुआ है, आगे इसमें बैठक होगी और फिर तय होगा कि किस तरह से आगे काम करना है लेकिन प्रदेश स्तर पर जागरूकता लाना और लोगों से सुझाव लेना अहम रहेगा।

बीजेपी में आ चुके हैं रिटायर जस्टिस

प्रदेश हाईकोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस रोहित आर्य ने अपने रिटायरमेंट के कुछ ही दिनों बाद जुलाई 2024 में बीजेपी का दामन थाम लिया था। हाई कोर्ट में 29 साल तक वकील के तौर पर प्रैक्टिस भी की है। सिविल कानून, वाणिज्यिक (कॉर्पोरेट फिड्युसरी, आदि), मध्यस्थता (अंतर्राष्ट्रीय/घरेलू), प्रशासनिक, सेवा, श्रम कानून मामलों की विशेषज्ञ माना जाता है। उन्हें 16 सितंबर, 2013 को मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के न्यायाधीश और 26 मार्च, 2015 को स्थायी न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया था।

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